है धरा कांपती,विश्व जानता, सत्य यही,इतिहास मानता, आज निकल पड़े आंखों से आंसू, हिय में संतुष्टी न समाता!! वो क्रांतिवीर था,क्रांति शीश आजादी का था अर्ध-धीश , युवाओ में शामिल,सच्चा-प्यारा, अपने वतन की आंखों का तारा! आजादी थी जिसका मुख्य धेय, जिसे गाता "आनंद" प्रेय, ब्रिटिश की लज़्ज़ा के परिपालक, असेम्बली की गाथा के कर्ण-धार, आज गाता देश पल-पल विचार! क्या थे दृढ़-निश्चय अपार, देश सोचता यही विचार! गुलामी जिसे स्वीकार नही, भले ही कारागार सही !! आज भारत देश की यही सोच, गूंजे उस क्रांतिकारी के उद्घोष, जिसे देश ने अवकुंठित,जोशीला पाया, वो क्रांति भगत सिंह कहलाया!!🙏 वीर भगत सिंह!please read at once🙏