मंज़िल की चाहत से ज्यादा रास्तों का भय लगता है खुशियों की चाहत से ज्यादा मुसीबतों से दिल डरता है ख्वाब अनगिनत मंजिल की चाहत में,पर टूटने से दिल डरता है बिना मेहनत के चाहत परवान ना चढ़ी, मंजिल अधूरी रह गई है 🎀 Challenge-316 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 4 पंक्तियों में आपनी रचना लिखिए।