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अंवारा दिल बंजारा मन, दोनों साथ लिये फिरते हैं

अंवारा  दिल  बंजारा मन, दोनों  साथ लिये  फिरते हैं
मुर्दे    जैसे    जिस्म की     औकात    लिये  फिरते हैं 

बैराग   लेकर    दुनिया  से   मस्त  मलंग  हो  लिये हैं
अब  न  ख्वाहिस न संग कोई जज्बात लिये  फिरते हैं

शहर से  सिहर गया दिल,है सुकूँ सेहरे की आगोश में
उजाले   रास नहीं आते, आँखों में रात लिये फिरते हैं

जीत मयस्सर न हुआ,इस क़दर हार ने अपनाया मुझे
हम जंग ए ज़िंदगी से "इंदर" कइ मात लिये  फिरते हैं







......© इंदर भोले नाथ #awaradil#banjaraman#alfazeinder
अंवारा  दिल  बंजारा मन, दोनों  साथ लिये  फिरते हैं
मुर्दे    जैसे    जिस्म की     औकात    लिये  फिरते हैं 

बैराग   लेकर    दुनिया  से   मस्त  मलंग  हो  लिये हैं
अब  न  ख्वाहिस न संग कोई जज्बात लिये  फिरते हैं

शहर से  सिहर गया दिल,है सुकूँ सेहरे की आगोश में
उजाले   रास नहीं आते, आँखों में रात लिये फिरते हैं

जीत मयस्सर न हुआ,इस क़दर हार ने अपनाया मुझे
हम जंग ए ज़िंदगी से "इंदर" कइ मात लिये  फिरते हैं







......© इंदर भोले नाथ #awaradil#banjaraman#alfazeinder