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यह सत्य है कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है

यह सत्य है कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है 
और पत्थर से ही पत्थर को तोडा जा सकता है 
मगर हृदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो 
उसको पिघलाने को कठोर वाणी कभी कारगर नहीं हो सकती क्योंकि 
वह केवल और केवल नरम वाणी से ही पिघल सकता है
क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता बोध से जीता जा सकता है 
अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है 
समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगडती स्थित को 
दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं 
हर स्थित में संयम रखो संयम ही आपको कलेशो से बचा सकता हैं
आखों में शर्म रहे और वाणी नरम रहे
तो समझ लेना परमसुख आप से दूर नहीं
 जय श्री राधे कृष्णा
यह सत्य है कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है 
और पत्थर से ही पत्थर को तोडा जा सकता है 
मगर हृदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो 
उसको पिघलाने को कठोर वाणी कभी कारगर नहीं हो सकती क्योंकि 
वह केवल और केवल नरम वाणी से ही पिघल सकता है
क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता बोध से जीता जा सकता है 
अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है 
समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगडती स्थित को 
दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं 
हर स्थित में संयम रखो संयम ही आपको कलेशो से बचा सकता हैं
आखों में शर्म रहे और वाणी नरम रहे
तो समझ लेना परमसुख आप से दूर नहीं
 जय श्री राधे कृष्णा