- कुछ दोहे - "दो हजारी नोट के सवाल-जवाब" ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• 1- सुनिए बहिनो भाइयो, मुझमें क्या थी खोट। बंद मुझे क्यों कर दिया, मैं भी तो हूँ नोट।। 2- दो हजार का नोट मैं, चटख गुलाबी रंग। बिना घोषणा बंद का, कैसा है ये ढंग।। 3- गाजे बाजे के बिना, किया मुझे क्यों बंद। मुझको बस चलने दिया, सात साल ही चंद।। 4- निराधार बातें नहीं, करो गुलाबी नोट। तुम में तो थी जन्म से, कितनी भारी खोट।। 5- तुमको लाने में हुई, मुझसे भारी भूल। दो हजार के नोट तुम, इसे न दो अब तूल।। 6- लोगों को भाया नहीं, चटख गुलाबी रंग। छिपकर तुम रहते रहे, कर चोरों के संग।। 7- विगत पाँच-छैः साल से, तुम थे अंतर्ध्यान। दो हजार के नोट तुम, खुद का लो संज्ञान।। 8- सौ पचास का लो अगर, कभी कहीं सामान। तो दुकान वाला कहे, खुल्ले दो श्रीमान।। 9- खुल्ले मिलते थे नहीं, दो हजार के मित्र। जटिल और संदिग्ध था, तुम्हरा चाल चरित्र।। 10- तुम्हें विदा करना लगा, हमको तो अनिवार्य। शायद सधे चुनाव में, इससे ही कुछ कार्य।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava #worldpostday