हिंदुस्तान में रहता हूं सर कटा लूंगा म्लेच्छ के छींटे मंजूर नहीं चक्कर काट रही है वो घर में दाना नहीं पानी नहीं, स्कूल की फीस और छत पर पति का साया नहीं, क्या दिया उसकी शहादत ने? क्या मिला त्याग का सिला उसे? जिसकी मांग में आज सिंदूर नहीं, दर-दर ठोकरें खा रही है जिसके पति को था म्लेच्छ मां के कपड़ों पे मंजूर नहीं ©fateh singh sodha #शहिद