बचपन फिर 👇 ढूंढने लगा मिट्टी का घर 👉और खुला वह आंगन। पटनी पर रखी यादें 👉 उतरने को लगी है मांगन। चूल्हे की लिट्टी 👉 गाने लगी मां की ममता का रागन। चूल्हे के बेंती का दीया👉जलने को फिर लगा है मांगन। अंधेरे में जलती हुई लालटेन 👉रात को लगी है काटन। दादा -दादी के किस्से 👉 जीवन में खुशियां लगे है बांटन। शाम ढलते ही घरों उठता धुंआ 👉खाने बनाने को देता आगन। बोरशी, आग की विरह में 👉खोती अपनी अस्तित्व का दामन। ~~शिवानन्द #बचपन #गांव #मिट्टीकेघर #चुल्हा #दीया #life #yqdidi #yqbaba