कीचड़ में कमल बारिश की बूंदें। बूंदों से बना समंदर। बारिश में बह गई मिट्टी घर के अंदर। मिट्टी बहते-रुकते कीचड़ बन गई। पर, इस समंदर से कीचड़ सब धुल गई। हो चला एहसास, अब जल्द होगा वास, अपने घर में। हां, अपने घर में! जहां न सिर्फ दीवारें, पर होंगे सुकून सारे। वो घर,आंगन,कमरा मेरा, होगा घर जीता जागता। इस कीचड़ से कमल खिलेंगे। दिल के सब तार जुड़ेंगे। सारंगी के सुर तरंग बजेंगे। बस, अब बहुत, बहुत जल्द हम अपने सपने, अपने घर मे ©Nina #lotus हिंदी कविता