हम तो ग़मों के समंदर हैं खुशियों के बीज बोए तो बोए कैसे.. हम अपने जिस्म में लगे इस उदासी को धोए तो धोए कैसे.. और रहते हैं दूर मा से इसलिए याद आती लेकिन हम तो लड़के हैं जनाब रोए तो रोए कैसे...पटेल पटेल