संबंध जोड़ना एक कला है, लेकिन; संबंध को निभाना; एक साधना है । जिंदगी में हम कितने सही; और कितने गलत हैं ये सिर्फ दो ही जानते हैं; “ईश्वर“और अपनी “अंतरआत्मा“ और हैरानी की बात है कि दोनों नजर नहीं आते। संबंध कभी भी सबसे जीतकर नहीं निभाए जा सकते… संबंधों की खुशहाली के लिए झुकना होता है, सहना होता है, दूसरों को जिताना होता है और स्वयं हारना होता है। संबंध कभी भी मीठी आवाज या सुंदर चेहरे से नहीं टिकते, वो टिकते हैं सुंदर हृदय और कभी ना टूटने वाली विश्वास से… ! झुकने से रिश्ता हो गहरा तो झुक जाना चाहिए हर बार आपको ही झुकना पड़े, तो रुक जाना चाहिए । सच्चा संबंध ही वास्तविक पूँजी है । सख़्त हाथों से भी फिसल जाती हैं कभी नाज़ुक अंगुलियाँ, रिश्ते ‘ज़ोर’ से नहीं ‘प्यार मोहब्बत” से पकड़े जाते हैं । ©Matangi upadhyay #GoodMorning #mywords #mythoughts #myfeelings #writer #writerofindia #Poet #wirterofindia #matangiupadhyay #wetogether