मजदूर वापस जा रहे हैं होकर मजबूर, अपने गांव में ऊंची-ऊंची इमारतों से दूर,हरे पेड़ों की छांव में शहर इन्सानों की तरह है कुछ देता है तो, कुछ लेता भी है गांव पेड़ों की तरह है जो सिर्फ देता ही है शहर ने जख्म दिए हैं कुछ ज़हन में, कुछ पांव में मजदूर वापस जा रहे हैं होकर मजबूर, अपने गांव में कुछ लोग मजबूरों के लिए भगवान बन कर आ गये कुछ ने बेच दी इन्सानियत, कौड़ियों के भाव में मजदूर वापस जा रहे हैं होकर मजबूर, अपने गांव में Manish Sharma #Labourday #प्रवासीमजदूर J¤|{£® Ajay maurya(#आश्वस्त🇮🇳) Suman Zaniyan