तू कहे या ना कहें... तू कहे या ना कहे हमने कर दिया इश्क़ का इज़हार है दिल मेरा यह तेरी 'प्रेम' की इन बातों से ही गुलज़ार है ना था कोई और ना होगा कोई, 'प्रेम' की यह दीवार है निगाहे बंद करूँ या खोलू मैं, होता बस तेरा दीदार है जहाँ तक जाती यह नज़र वहाँ तक इश्क़ की मीनार है रहनुमा है इस दिल का तू, बिन तेरे यह दिल बीमार है मानता हूँ मैं,जानता हूँ कि इश्क़ की हर राहे पुरख़ार है मोहब्बत समंदर है 'दर्द' का मुझे इस से कहाँ इन्कार है इश्क़ में नटखटपन, होती रहती छोटी-छोटी तकरार है तू कहे या ना कहे पर, बिन तेरे यह जीना मेरा बेकार है कवि सम्मेलन-3 प्रथम ग़ज़ल #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkकविसम्मेलन #kkकविसम्मेलन3 #kk_krishna_prem