सुप्रभात कमल को देख ये कैसे, सदा कीचड़ में ही खिलता, कभी हालात का रोना, कहाँ इसपर कभी दिखता। बना यूँ हीं नहीं है यह,...... हमारे राष्ट्र का गौरव- उतर जो पंक में पाता,... उसे पंकज यहाँ मिलता। ©पंकज प्रियम कभी मुश्किलों से न घबराएं, सदा मुस्कुराएं। कमल