सोचते हूँ अब कुछ बोले तुम्हरी हिफाजत में !! लेकिन दलीले बहोत थी तुम्हरी शिकायत में !! ये नफरतो के पैगाम हमारे दरमियां ना लाओ !! मैं आज भी खत लिखता हूं तुम्हरी उल्फत में !! खुदा की शाजिश तो नही रोज हार जाना मेरा !! फिर भी मैं हार जाता हूँ जितने की हालत मे !! अब जो खुदको जिंदा किए हुए आज भी हम !! मर तो बरसो पहले गए थे विपिन हक़ीक़त में !! हमने खुशी चाही थी मगर वो खुश नही है तो !! इस बात का भी इल्जाम दे अपनी किस्मत पे !! ये जो सिने को बार बार पिटता हु अब विपिन !! हमे आदत हो गई है जीने की इसी जिल्लत में !! जिसने बुलाया नही अपनी खुशियों में हमे अब !! फिर भी चाहता है हम बुलाये अपनी मय्यत में !! मेरी जिंदगी किस तरह खुश होगी ये बता मुझे !! अब तेरा भी दिल नही लगता क्या महोब्बत में !! Zikr ek @√ #alone #theinnervoice #Heart #johnelia #zikr ek @√