आपका वो सुबह सुबह उठना, गुलाब सी मुस्कान, और चिड़ियों सा चहकना, सब खो गया मेरे कारण। अगर मैं ग़लत हूं तो सजा खुद को क्यों देते हो, देख कर मुझको, ऐसे क्यों तुम छुपते हो, ऐसा क्या करें हम मुस्कान आपकी लौट आये इस महफिल छोड़े हम, या इस दुनिया को छोड़ जायें। औकात नहीं मेरी, सूरज को यूं छूने की, फिर भी दुआ करते हैं आपके हसीं सवेरे की, फिर से चेहको चिड़ियों सी, और गुलाब सी मुस्कान की।।