प्रिय डायरी अक्सर पूछते हैं लोग मुझसे कैसे इतना खुश रहते हो इस मतलबी दुनियां में ? क्या कारोबार है तुम्हारा? मैंने भी मुस्कुराते हुए कह दिया, साहब, एक छोटा सा "दर्जी" हूं, "अगर कभी "उम्मीदें" उधड़ जायें, तो बेझिझक मेरे पास चले आइयेगा, "हौसलों" का "दर्जी" हूं, मुफ़्त में रफ़ू करता हूं और दूसरों को खुश देखकर, मैं भी हमेशा खुश रहता हूं"... #MyStory of the year...