खिलते फूल की तरह, होते है नये रिश्ते। हवा से चंचल होते हैं, नये रिश्ते। अपनेपन का एहसास, जताते है नये रिश्ते। चीनी की तरह, घूल जाते है नये रिश्ते। पर जाने क्यो? वक्त के साथ, नयापन मिटा देते है नये रिश्ते। अपनेपन से जाने कब? पराये हो जाते है नये रिश्ते।। #नये रिश्ते कविता