झारखंड भले ही 20 साल पहले बिहार से अलग हो गया हो लेकिन अक्सर यह नीतिगत फैसलों में बिहार का जिक्र आई जाता है जाहिर है ऐसा होने पर विरोध और समर्थन के स्वरूप भरते हैं जो राजनीतिक नुकसान को ध्यान में रखकर किए जाते हैं ताजा विवाद जल स्तरीय परीक्षाओं में स्थानीय भाषाओं के निर्धारण का पहले झारखंड में प्रचलित जनजाति भाजपा समेत बंगाल और उड़ीसा को अलग-अलग स्थानों पर अनिवार्य किया गया इसका सत्र रूडी महागठबंधन की सरकार में ही विरोधी आरंभ हुआ शुरुआती कांग्रेसमें जिसका सरकार के सहयोगी रजत ने भी समर्थन किया इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ राज्य में बिहार में प्रचलित भोजपुरी और बाकी माता दी गई अब इसके विरोध और समर्थन में नए सिरे से गोलबंदी हो रही है सत्तारूढ़ गठबंधन में जहां से लेकर मतभेद है वहीं पार्टी के खिलाफ खड़े हैं उसका राज्य में भाजपा के साथ तालमेल है भाजपा का आरोप है कि राज्य सरकार विवाह का विवाद खड़ा कर मूल्यों की तरफ से लोगों का ध्यान भटका ना चाहती है बहरहाल राजनीतिक विरोध और समर्थन के बीच यह संवेदनशील मुद्दा विभिन्न व्यवस्थाओं के साथ संकट पैदा कर सकता है इसका उदाहरण कुछ दिनों के बाद दिखाई दिया भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र कुमार राय ने अगर पेड़ में हमला करवा दिया ©Ek villain #भाषा विभाग पर झारखंड में बढ़ती किल्लत #selflove