पंचतत्व बना यह ब्रह्मांड बने हैं हम, पंचमहाभूत से बना है यह संसार, जल वायु पृथ्वी अग्नि आकाश से, जुड़ी है यह दुनिया हमारी, समाया जिसमें पांच तत्व बन गया वह उत्तम प्राणी। धरा जिसमें है संसार समाया, सिखाया जिसने धैर्य संतुष्टि सहनशीलता, और इसी ने ही सिखाया दुर्जन से लड़ना, प्रकृति की सुंदरता, पृथ्वी की गहराई, जानू बहतर समझू खुलकर, क्योंकि पूर्णता ही है इसमें समाई। पवन की शीतलता, हवा का झोंका, प्यार का साया और मंकी मधुरिता। ताजगी इसकी एसी, हिला दे दुश्मन की तलवार भी, ना इस जैसा कोई है, ना कोई होगा खोले मन के द्वार, दिला दे पलों की याद, यह ठंडी पवन की है एहसास, कुछ इस तरह चलती है हवा की पूरी बात। शांति का प्रतीक है, तो बनता तूफान भी है, जीवन की डोर है, तो मौत का साया भी है, कुछ ऐसी कहानी पानी तुम्हारी है, हर राह में तुम्हें अलग पाना, साथ बहे तुम्हारे, या रह जाए नदी किनारे, सिमटा जगत तुम्हारे अंदर, कुछ हमें समेट लो, जल तुम्हारे अंदर, जब नहीं रहा जाता इस बेबस दुनिया में, तो चलो ले चलो अब गंगा किनारे। जलती है, तपती है, धूप को खुद अपना अस्तित्व देती है, जीवन की शुरुआत भी यही है, तो अंत भी यही है, जंग भी यही है, तो ज़िन्दगी की रीत भी यही है, कुछ ऐसी बात अग्नि तुमहरी है सपनो की बुलंदी है यह आसमान, सीमाओं को तोड़ने का है साहस, बादलों से खेलने की ताकत, ऊंची उड़ान भरने के ख्वाब, दिलों में जिंदा रहने की आस, कुछ ऐसी बात है आसमान तुम्हारे साथ। ।।की पंचभूत का बना है यह ब्रह्मांड तो बने हैं हम।। ©Tanya Sharma #KavyanjaliAntaragni21 #nature #Hope