खुद को रात और उसको सुबाह लिखता हूँ ये बात मैं हर शाम लिखता हूँ जिसने पढा नहीं मुझे कई रोज से उसी को ये बात हर रोज लिखता हूँ जिसको परवाह नहीं मेरे हाल की उसी को मैं अपने हालात लिखता हूँ