कमज़ोर हुई है डोर फिर मुहब्बत की, मयख़ाना तेरी याद आई है ग़ाफ़िल मदहोश हो गया हूँ मैं, मयकशी तेरी याद आई है राएगाँ हो रही है उम्र यूँ ही, तेरे आस्ताँ का पता मिलता क्यों नहीं एक बार तो इशारा करदे कहाँ है तू, आज बहुत तेरी याद आई है धूप में बारिश में रेगज़ार खारज़ारों में भटक रहा हूँ मैं दरबदर शिद्दत-ए-तिश्नगी बुझा दे एक बार, आज फिर तेरी याद आई है ग़ैरत-ए-मयकशी रखता हूँ मैं, होश में रहकर मय को पीता हूँ मैं 'सफ़र' को लबरेज़ करदे आज की रात, मय तेरी याद आई है ग़ाफ़िल- बेहोश राएगाँ- waste आस्ताँ- निवास स्थान रेगज़ार- रेगिस्तान खारज़ारों- कांटों का रास्ता शिद्दत-ए-तिश्नगी- intensity of thirst ग़ैरत-ए-मयकशी- Dignity of drinking रिंद- drinker