तरल पटल की सीमा पर अंजुम ये ठीक नहीं होगा ऐसे विश्व विलाप को भूलोगी तुम तो ये रण फिर से होगा बात आएगी राष्ट्र की जब जब एक नहीं कई वीरों का पतन होगा है ये धीर धरा मंगल कि यहाँ राम के साथ बजरंग भी चरणों में होगा जिस विलाप की गिन्नी पहले फिर रहे हो सत्ता में कलेजा बिपिन सा सागिर्ध लगता है कुछ गांधी जी कि वोटों पर उस पर अब इंक़लाब की बेड़ी भी हीरों का ताज होगा दिल से दिल्ली तक सिर्फ़ सुसासन का वास होगा ©ek anjaan lekhak #thelunarcycle