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मैं अपराधी हूँ क्योंकि लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथ

मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि 
लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं 
कहती हूँ कड़वा सत्य
नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले 
मैं अपराधी हूँ
क्योंकि, 
रहती हूँ गुम अपनी दुनिया की चहारदीवारी में 
नहीं बिखैर सकती झूठी मुस्कान 
किसी दिखावे के त्यौहार में 
मै अपराधी हूँ 
क्योंकि,
चंचल मन हूँ तो गुनगुना लेती हूँ पपीहों संग
उगा लेती हूँ उम्मीदों का नया उपवन 
पर नहीं लेती सहारा किसी स्वार्थी पुरूष का
मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि, 
स्वयं की खोज में मुझे त्यागना पड़ा घर 
समेटकर एक गठरी में सारी इच्छाएं 
मैने चुन लिया करना एक और अपराध।
©दिप्ती जोशी मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि 
लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं 
कहती हूँ कड़वा सत्य
नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले 
मैं अपराधी हूँ
क्योंकि, 
रहती हूँ गुम अपनी दुनिया की चहारदीवारी में
मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि 
लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं 
कहती हूँ कड़वा सत्य
नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले 
मैं अपराधी हूँ
क्योंकि, 
रहती हूँ गुम अपनी दुनिया की चहारदीवारी में 
नहीं बिखैर सकती झूठी मुस्कान 
किसी दिखावे के त्यौहार में 
मै अपराधी हूँ 
क्योंकि,
चंचल मन हूँ तो गुनगुना लेती हूँ पपीहों संग
उगा लेती हूँ उम्मीदों का नया उपवन 
पर नहीं लेती सहारा किसी स्वार्थी पुरूष का
मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि, 
स्वयं की खोज में मुझे त्यागना पड़ा घर 
समेटकर एक गठरी में सारी इच्छाएं 
मैने चुन लिया करना एक और अपराध।
©दिप्ती जोशी मैं अपराधी हूँ 
क्योंकि 
लिखती हूँ व्यंग्यात्मक कथाएं 
कहती हूँ कड़वा सत्य
नहीं मानती सदियों से चले आ रहे ढ़कोसले 
मैं अपराधी हूँ
क्योंकि, 
रहती हूँ गुम अपनी दुनिया की चहारदीवारी में
diptijoshi4404

Dipti Joshi

Silver Star
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