इस जग की सबसे सुँदर तस्वीर वो देखी, ,,वो प्रेम की राधा सिर कृष्ण"मोर की "पंखी"!,,,,,ओ,एम,जे, "मेरो तो गिरधर,दुजो ना कोई! जाके सिर मोरमुकुट,सोई मेरो पति होई!,,,,,,,मीरा ने सहज व सरल भाव से उसे अपना पति स्वीकारा वो मोहन सचमुच "कामविजयी" है,,, कहने का अर्थ---प्यार (प्रेम)वासनाओ का नही "भावनाओं"का विषय है,,,, वैसे चराचर जगत के पक्षी ईश्वर की नियामत है ईश्वर कृत है तथापि श्रीकृष्ण के सिर पर मयुरपंख क्यों? यह भी एक विचारणीय प्रश्न हैं,,,,,,,,,