भक्ति तर्क विहीन: आप उम्मीद से हो और कहता है उसपर छोड़िए। ये कैसा प्रश्र है जो कहता है कि कुतर्क छोड़ तर्क छोड़िए।। कहता है हल का अस्तित्व हलचल से नहीं है, पत्थर को गहरे पानी उतार छोड़िए।। स्पर्श अपने अपने संदर्भ में स्पन्दन की अलग अलग परिभाषा छोड़ता है, पानी में समाना है पानी में घुलना है, मीरा का प्रयत्न देखिए, राधा को न छू सकेगा, उस औतार को छोड़िए। #prayer #logics #bhakti #enlightenment