तिरी यादों का एक हसीन शहर बसा है मुझ में ! के सहरा के बाद गुलिस्तां खिला है मुझ में !! वो मासूम सा चेहरा वो प्यारी सी मुस्कान ! तिरा प्यार से फिर बच्चा बन जाना बसा हैं मुझ में !! गैर होकर भी तिरा अपनों सा फिक्र करना ! तिरा दूर रहकर भी पास होना बसा है मुझ में !! बारहा जाकर तिरा मुझतक वापस चले आना ! तिरा यूँ शहद-सा रूठना मनाना रमा है मुझ में !! तिरा बिन कहे भी बहुत कुछ कह जाना कुमार ! हर लफ्ज़ में तिरा आईना हो जाना दिखा है मुझ में !! ©Kumar #standAlone #यादें #nojotowriters #Nojotoindia #Nojoto अंकित सारस्वत आशुतोष यादव Sudha Tripathi indira