चांद देखा सबने किसी ने दाग नहीं देखा प्यार तक देखा फक़त प्यार के बाद नहीं देखा " खामियां चरा-गाह है मुकम्मल इश्क की, खामियों से बुझ कर जलता किसी ने चराग़ नहीं देखा। क्या देखा है फिर जिसने भी देखा मुझको तन्हा मेरी जान के सदके से मुझको आबाद नहीं देखा। chaand dekha sabne Kisi ne daagh nahi dekha Pyar tak dekha faqat Pyar ke baad nahi dekha. Khaamiyan chara-gah hain mukammal ishq ki Khamiyon se bujh kar jalta