तन्हा है चांद तो क्या, तन्हा तो आसमान भी है, क्या चांद रुकता है, चांदनी फैलाने से? तन्हा है चांद तो क्या, तन्हा तो आसमान भी है, क्या चांद रुकता है, चांदनी फैलाने से? ना आसमान झुकता है कभी, तन्हा रह जाने से, और एक हम हैं. जो घबराते हैं तन्हा हो जाने से,