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बहुत कुछ छोड़ बहुत कुछ समेट वो लेकर आईं थी नज़राना

बहुत कुछ छोड़ बहुत कुछ समेट वो लेकर आईं थी
नज़राना प्यार का..
कुबूल ना करता तो करता क्या.. खुदा से बंदगी जो की थी उसकी चाहत का.. ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के। 😊

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें। 💐

♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की।

♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।
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नज़राना प्यार का..
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