ऑंखें ढूंढती है चेहरा तेरा, हर रात देखूं मैं ख़्वाब सुनहरा, तू आती है, बाँहों में समाती है, धीमे-धीमे रूह में उतर जाती है, बातें कम ही करती है, चेहरा ज्यादा बनाती है, लब से लब को जब मिलाती है, अंग-अंग में सरसरी मच जाती है, सीने पे रखकर सिर फिर तू, धड़कन को मेरी आराम पहुंचाती है, तब जाके कहीं मुझे नींद आती है, जब ख़्वाब बन के तू ख़्वाबों में आती है... #रातकाअफ़साना #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #चेहरातेरा #ऑंखें #you&me #vineetvicky #novemberkavita