ये खामोश बिस्तर की सलवटे, छुपाये हुए , लाख उलझन, वो उलझन की जिसमें पिरोई है, हर बदलती करवट, हज़ारो रातों के खाते मे, फिर सिसकती सर्दियों से, तेरे गर्म होने तक मैंने नींदो से कहा बाद मे आना, जरा सी झपकी लीं है, सांसो ने मेरी, कि आज ज़रा देखू तो, ये चांद को सिरहाने सुलाकर जैसे सिमटा सा, कोई मासूम बच्चा, माँ की कोख मे, बस बिछड़ने की बात मत करना, तुम सुबह को याद मत करना, मैं लिपटकर एक जिंदगी गुजार दूंगी, 'सुनो' तुम नफ़रतैं हद करना, 'जिया' जाने की बात मत करना || #ujjain #jabalapur #radhakrishna #vrandawan