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अनहद गूँज उठा जो मन में रिक्त प्रवर फिर उठा जीवन म

अनहद गूँज उठा जो मन में
रिक्त प्रवर फिर उठा जीवन में, 
मन में हिम्मत जाग रही हैं
देखो मुश्किलें भाग रही हैं,
जीवन पथ के पथिक हो तुम यूं 
क्यों ही डरते हो
सुनो! पार्थ 
कुछ व्यथा तुमको रोक रही है
देखो...... भाग रही है! -२
मौन समर्थन क्यों करते हो
दुख में जीवन क्यों भरते हो, 
गर मरण ही लिखा है जीवन में
अनहद..... मन में

©Raam Sevariya
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