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हर इक रात , उस बाप पर भारी होती है। जो अपनी औला

हर इक रात ,
उस बाप पर भारी होती है।



जो अपनी औलाद की खातिर 


दिन में ख्वाब  देखता है ।



कोई खरीदार ही नहीं दुनियां में ,
 उसके जज्बात का,

क्योंकि इक बाप
 अपनी नींद और ख्वाब  बेचता है 


✍️ पूज्य पिता श्री के लिए ✍️🙏

©SHIVAM tomar "सागर"  Satyaprem Upadhyay  pramodini Mohapatra  vks Siyag  Sethi Ji  Prachi Mishra
हर इक रात ,
उस बाप पर भारी होती है।



जो अपनी औलाद की खातिर 


दिन में ख्वाब  देखता है ।



कोई खरीदार ही नहीं दुनियां में ,
 उसके जज्बात का,

क्योंकि इक बाप
 अपनी नींद और ख्वाब  बेचता है 


✍️ पूज्य पिता श्री के लिए ✍️🙏

©SHIVAM tomar "सागर"  Satyaprem Upadhyay  pramodini Mohapatra  vks Siyag  Sethi Ji  Prachi Mishra