.. ये होता रहा मुसलसल फ़ाज़िल होते देखते रहे सलीके से जीने वाले की लोग खिल्ली उड़ाते रहे.. .. अमुमन सबकी देखी बुझी ये उंच नीच की गुज़र बदलते जहां में न बदला रवैया दानिश निसाब रहे.. .. कोशिश की बात आई तो उम्मीद के संग हो लिये इक्ट्ठा हों इबादत को ज़ाती नफ़े के सबब मांगते रहे.. .. 🌱खुशामदीद..💞 नीसाब माने, पाठ्यक्रम, अंग्रेज़ी में कहे स्लेबस/syllabus.