है बात यूं नहीं कि ख़ाब होते नहीं बात यूं भी नहीं कि ख़ाब हकीकत बनते नहीं मुकद्दर, परवरिश, हालात, मजबूरी, मेहनत, हिकमत सब शामिल है ख्वाब-ओ-हकीकत के मझधार। ज़िद जब तक ना हो तेज धार ख़ाब चुभते नहीं जब तलक खुली आंख और नींद के उस पार हालात बद से बद्तर जब तक होते नहीं ख़ाब किसी के भी पूरे होते नहीं ©kishori lal bror #ख़ाब #हकीकत #alonesoul