दर्द दिल का कोई किस तरह दिखाए उसे जब ज़ख्म बदन का ही ना नजर आए उसे न देखने की सज़ावार जिस आंख को हुई जब वो नज़र देखता है तो देखने दो उसे पिया नही जो कभी लबों के शबनम को वो पियासा भला हाथ क्या लगाए उसे खुला न उस पर कभी मेरे चाहत का पैमाना दबी है रहस्य जो दिल में क्या दिखाए उसे ©Sandeep Rahbraa दर्द दिल का कोई किस तरह दिखाए उसे जब ज़ख्म बदन का ही ना नजर आए उसे न देखने की सज़ावार जिस आंख को हुई जब वो नज़र देखता है तो देखने दो उसे पिया नही जो कभी लबों के शबनम को वो पियासा भला हाथ क्या लगाए उसे खुला न उस पर कभी मेरे चाहत का पैमाना दबी है रहस्य जो दिल में क्या दिखाए उसे