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पतझड़ के मौसम में हम फूल खिलते हैं बिगड़े रिश्ते भ

पतझड़ के मौसम में हम फूल खिलते हैं
बिगड़े रिश्ते भी हम खुशी खुशी निभाते हैं
दिल की ज़ख्मों अब पर कौन मरहम लगागे
ऐसे ज़ख्मों को अब हम इनाम समझते हैं

©Sonu Kumar
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