कौन समझे ये कैसी रात है शायद कोई राज़ की बात है कोई लड़की ये राज बोल नही पाती है चुपचाप अजनबी इन्सान से लड़ती ह उस इन्सान के साथ शादी करने तयार होती है जिसे वो इश्क़ तो क्या शादी भी मजबूरी करती है क्योंकि समाजमें इज्जत रखनी होती है समाज को कैसे बताये वो इन्सान आगे अलग औऱ पीछे गंधगी हैं क्या करे समाजने तो निकाह को इज्जत दी है उसकी अर्धांगिनी बनाके मुझे छूनेकी इजाजत दी है लड़कीकी इजाजत हो न हो हर रात ये रसम निभायी गई हैं इश्क से तो इनको नफरत होती है समाज के लिए किसी लड़कीको गुडिया बनाके रख देते हैं आँखोंके उसके आंसू राज बनाकर रखदेते है इस रात का राज वो लड़की हररोज सेहती है किसीकी इज्जत बचानेकेलिये खुदको बेचती है पर अब नही सहेगी वो उस रातके राज को, खोलनेकी हिम्मत रख रही है अन्याय के खिलाफ लड़ने खळी हो रही है राज की बात