सदियों की नाउम्मीदी ने पहली बार मुंह की खाई है, जाग रहा है भारत अपना, संस्कृति पर छाई तरुणायी है। परेशानियां अब भी हैं,पर हल होंगी यह संबल है, उठते गिरते, फिर चल पड़ने का भी अब कौशल है। भारत को सम्मान मिले तो अपनी संस्कृति का मान है, पुरखों की कमाई थाती का नयी पीढ़ी पा रही ज्ञान है। दुनिया की तो फितरत ऐसी,जितना झुको उतनी ही अकड़ी , भीतर में हो मजबूती तो दुनिया ने कब किसकी ऊंगली पकड़ी। विश्व में भारत की जो बात करेगा,उसका ही सम्मान रहेगा; ज्ञानी ,वीरों की इस धरती पर नहीं गद्दारों का स्थान रहेगा। जय हिन्द! सदियों की नाउम्मीदी ने पहली बार मुंह की खाई है जाग रहा है भारत अपना, संस्कृति पर छाई तरुणायी है परेशानियां अब भी हैं,पर हल होंगी यह संबल है उठते गिरते, फिर चल पड़ने का भी अब कौशल है भारत को सम्मान मिले तो अपनी संस्कृति का मान है