काश मुझे वो आज पलटकर देखता मैं भी तो एक पल जीकर देखता ताउम्र कांटे रखे हैं उसने मेरे रास्तो में पर मेरे हाथों में वो सदा गौहर देखता मुझे पत्थर समझने वाला भ्रम में रहा मैं कितना मोम हूं तू मेरा होकरदेखता मेरी सदाकतो में तुझे पशेमां रखा है वरना तेरे हाथों में खुशबख्त पत्थर देखता ये मिनकरो में सूरज पकड़ने की जिद हैं वरना कभी तू मेरे हाथों में मुकद्दर देखता मिनकर चोंच