।। जैसी करनी वैसी भरनी।। एक अनाथ लावारिस बिल्ली मेरे बच्चे उठाकर घर ले आयें। अपनी मुँह का निवाला उसे खिलाकर, बच्चोंने उसे बडे लाडप्यार से बडा किया। पर एक दिन उसे एक चुह्हा मील गया और उसने उसे खा लीया। बादमें क्या कहना, वो बिल्ली हर किसी के घर, चुह्हों के लीये, मुँह मारने लग गयी। सौ बार बच्चोंने उसे पकड के घर पर लाया, बाँधकर रखा, पर उसके मुँह तो खुन लग चुका था। वो बिल्ली बच्चों को ही, नाखुन मारने से नहीं चुँकी। और एक दिन भाग निकली। दो, तीन दिन बच्चे बडे मायुस रहे, उसकी याद में, खाना तक नही खाया पर धीरे धीरे बच्चे उसे भुल गये। एकदिन वही बिल्ली फिरसे लौटकर घर वापीस आयी, पर तब वक्त निकल चुका था। बच्चोंने उसे डंडेसे, और पत्थरोंसे, मार मारकर भगा दिया। ।। सारांश ।। पछतावा किसे होना चाहीये बच्चोंको, बिल्ली को या मुझे..? ©Ravindra Rajaram Pardeshi.. #Jaisi Karni Vaisi Bharni