झूठ का सच (अनुशीर्षक में पढ़ें) झूठ का सच सच और झूठ, दोनों ही हैं सिक्के के पहलू दो हावी होते हैं इक दूजे पर, कम कोई नहीं समझता ख़ुद को कभी होता है यूँ भी,