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मैं प्यार कर बैठी तुमसे तो मेरी खता क्या है छोड़

मैं प्यार कर बैठी तुमसे तो मेरी खता क्या है
 छोड़ कर जाना था तुम्हें तुम चले गए इससे बड़ी मेरे लिए सजा क्या है 
अगर खुशबू के पौधे पर कांटे हैं तो कुछ फूल भी है
 तुमने बिछड़न के कांटे दिए मुझे तो इसमें तुम्हारी वफा क्या है 

अरे जब  राधा ने  राधे पर उंगली नहीं उठाई 
तुझ पर मैं उंगली उठाऊ मेरी तो औकात ही क्या है
और जैसे राधे तड़पे राधा के बिना 
तू भी तड़पे तो फिर बात क्या है 

कहते हैं बिरहा की अग्नि  ही सच्चा प्यार है 
तो फिर तू भी देख बिरहा की अग्नि में जलने का मजा क्या है 
तुम्हारी भी आंखों का पानी सूख कर ना गिर जाए
 तो कहना के इश्क की हवा क्या है 
और यह तो शुरुआत है तेरे इश्क की 
अंत में देखना इसका मजा क्या है 

समझ लेना उस दिन तुम्हारा इश्क मुकम्मल हो गया 
जब कोई आकर पूछे तुमसे तुम्हें हुआ क्या है राधे।।
मैं प्यार कर बैठी तुमसे तो मेरी खता क्या है
 छोड़ कर जाना था तुम्हें तुम चले गए इससे बड़ी मेरे लिए सजा क्या है 
अगर खुशबू के पौधे पर कांटे हैं तो कुछ फूल भी है
 तुमने बिछड़न के कांटे दिए मुझे तो इसमें तुम्हारी वफा क्या है 

अरे जब  राधा ने  राधे पर उंगली नहीं उठाई 
तुझ पर मैं उंगली उठाऊ मेरी तो औकात ही क्या है
और जैसे राधे तड़पे राधा के बिना 
तू भी तड़पे तो फिर बात क्या है 

कहते हैं बिरहा की अग्नि  ही सच्चा प्यार है 
तो फिर तू भी देख बिरहा की अग्नि में जलने का मजा क्या है 
तुम्हारी भी आंखों का पानी सूख कर ना गिर जाए
 तो कहना के इश्क की हवा क्या है 
और यह तो शुरुआत है तेरे इश्क की 
अंत में देखना इसका मजा क्या है 

समझ लेना उस दिन तुम्हारा इश्क मुकम्मल हो गया 
जब कोई आकर पूछे तुमसे तुम्हें हुआ क्या है राधे।।