शीर्षक- मोहब्बत तुझसे शिक़ायत है रचना प्रकार- गज़ल ज़िंदगी के सफ़र में तुम मिले हो यकायक मोहब्बत दिखे हर तरफ़ ग़म नज़र न आये दिल ने लुटाया सदियों की मोहब्बत तुम पर ये दीवाना तेरे इश्क़ में कहीं बिखर न जाये न जाने कितनी उम्र गुज़ारी है तेरे इंतज़ार में ऐसा न हो सुहाना मौसम कहीं गुज़र न जाये जिस ख़ुशी पर इतरा रहा है मासूम सा चेहरा मासूमियत का लिबास चेहरे से उतर न जाये हर वक़्त तुमसे मिलने के बहाने जो ढुढ़ता हुँ वो बहाने अब हाथों से कहीं निकल न जाये जो ख़्वाबों में कभी-कभार तेरा दीदार होता है वो ख़्वाब वाले नींद टूट कर बिखर न जाये मेरे पलकों के साये में तुम्हे छुपा लूँ "रहमत" इस दुनियाँ की भीड़ में कहीं ग़ुम न हो जाये ©Sheikh Rahmat Ali Bastvi #Dark #virul #sheikhrahmatalibastvi #ariyen_poet Pallavi Srivastava