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राह-ए-मोहब्बत में कभी एक मुकाम ऐसा भी आता है, घब



राह-ए-मोहब्बत में कभी एक मुकाम ऐसा भी आता है,
घबराता है दिल पर चढ़ने लगता है इश्क की सीढ़ियाँ।

चढ़ने लगती हैं जब भी दिल पर इश्क की खुमारियाँ,
बढ़ने लगती हैं राह-ए-जिंदगी में चाहत में दुश्वारियाँ।

भूलकर दुनियाँ को यार-ए-दीदार की चाहत होती है,
सुकून मिलता नहीं कहीं यार से ही महकती है दुनियाँ।

जाने अनजाने में करने लगता है दिल कई नादानियाँ,
सजाने लगता है ख्वाबों की जाने कैसी कैसी क्यारियाँ।

झेलने को तैयार हो जाता है दुनियाँ के जुल्म-ओ-सितम,
दुनिया जन्नत नजर आती है हसीन लगने लगती है दुनियाँ। ♥️ Challenge-697 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

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♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।


राह-ए-मोहब्बत में कभी एक मुकाम ऐसा भी आता है,
घबराता है दिल पर चढ़ने लगता है इश्क की सीढ़ियाँ।

चढ़ने लगती हैं जब भी दिल पर इश्क की खुमारियाँ,
बढ़ने लगती हैं राह-ए-जिंदगी में चाहत में दुश्वारियाँ।

भूलकर दुनियाँ को यार-ए-दीदार की चाहत होती है,
सुकून मिलता नहीं कहीं यार से ही महकती है दुनियाँ।

जाने अनजाने में करने लगता है दिल कई नादानियाँ,
सजाने लगता है ख्वाबों की जाने कैसी कैसी क्यारियाँ।

झेलने को तैयार हो जाता है दुनियाँ के जुल्म-ओ-सितम,
दुनिया जन्नत नजर आती है हसीन लगने लगती है दुनियाँ। ♥️ Challenge-697 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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