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डर लगता है मुझे उस आने वाले कल से जिसमें मैं वही न

डर लगता है मुझे
उस आने वाले कल से
जिसमें मैं वही नही रह सकूंगा
जो मैं आज महसूस करता हूं
उस वक्त और परिस्थिति के बारे में
कल्पना कर डर लगता है
जिसमें मेरा अंतर्मन 
उस अनुभव में
ना चाहते हुए भी होकर 
सिसक सिसक कर रोएगा
डर लगता है हर दिन 
समय के साथ बदल रहे उन रिश्ते नातों से
जिनमें मैं वही नही रह सकूंगा 
जिसमें मैं आज होना महसूस करता हूं
डर लगता है मुझे,,,,,,


    अमित

©Amitabh kumar haihayvansi
  डर लगता है

डर लगता है #Poetry

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