कभी चुभ जाती हैं बातें गैरों की तो , कभी अपनों के लहजें मार जातें हैं , ये ज़िन्दगीं हैं जनाव यहाँ गैरों से नहीं , कभी कभी अपनों से हार जाते हैं ... -Tarachand Rathour . ©Tarachand Rathour #CandleLight