उस रात जैसे नींद में आखिरी बार दस्तक दी थी जवाब काफी गहरा था, साथ सबका अधूरा था अपना होने का अहसास दिला सके हर वह चीज मुझसे दूर था वक्त का इशारा था मुझको,फिर भी उन गलतियों को दोहरा रही थी अंजाम जानते हुए भी उस दलदल को अपना रही थी अंत हुआ कुछ ऐसा,कि अब खुद को कहीं खो चुकी थी वक्त का इशारा