लुत्फ़ मरने में है बाक़ी न मज़ा जीने में कुछ मज़ा है तो यही खून-ए-जिगर पीने में कितने बेताब हैं जौहर मिरे आईने में किस क़दर जल्वे तड़पते हैं मिरे सीने मे #iqbal #IqbalDay ©Pal do pal ka shayar #iqbal