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मौत जीने की क्या बात करूंँ मैं,मौत भी आती नहीं ह

मौत

 जीने की क्या बात करूंँ मैं,मौत भी आती नहीं है
 मौत की आगोश में कब से खड़ी हूंँ
 वह भी मुझे खुशी से गले लगाती नहीं है
 सबका इंतजार कर लिया अब तो
 अब तो मौत का ही इंतजार है मुझको
 एक बार जो मिल जाए मुझको
 हंँसकर उसे गले लगा लूंँगी
 जिंदगी की सभी चाहतों को
 एक साथ दफन कर दूंँगी
 नहीं बची है कोई और भी इच्छा
 अब तो मौत ही अच्छी लगने लगी है

©DR. LAVKESH GANDHI
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# मौत की चाहत #

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